2300 साल पुराने भारत की कहानी | Megasthenes Indica | Megasthenes History In Hindi | Historic India

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2300 साल पुराने भारत की कहानी | Megasthenes Indica | Megasthenes History In Hindi | Historic India

मेगस्थनीज (Megasthenes) 304 ईसापूर्व - 299 ईसा पूर्व) यूनान का एक राजदूत था जो चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था। यूनानी सामंत सिल्यूकस भारत में फिर राज्यविस्तार की इच्छा से 305 ई. पू. भारत पर आक्रमण किया था किंतु उसे संधि करने पर विवश होना पड़ा था। संधि के अनुसार मेगस्थनीज नाम का राजदूत चंद्रगुप्त के दरबार में आया था। वह कई वर्षों तक चंद्रगुप्त के दरबार में रहा। जो कुछ भारत में देखा, उसने "इंडिका" नामक पुस्तक में विस्तृत वर्णन किया है। वह लिखता है कि भारत का सबसे बड़ा नगर पाटलिपुत्र है। यह नगर गंगा और सोन के संगम पर बसा है। इसकी लंबाई साढ़े नौ मील और चौड़ाई पौने दो मील है। नगर के चारों ओर एक दीवार है जिसमें 64 द्वार और 570 दुर्ग बने हैं। नगर के अधिकांश मकान लकड़ी के बने हैं।
मेगस्थनीज ने लिखा है कि सेना के छोटे बड़े सैनिकों को राजकोष से नकद वेतन दिया जाता था। सेना के काम और प्रबंध में राजा स्वयं दिलचस्पी लेता था। रणक्षेत्रों में वे शिविरों में रहते थे और सेवा और सहायता के लिए राज्य से उन्हें नौकर भी दिए जाते थे।

पाटलिपुत्र पर उसका विस्तृत लेख मिलता है। पाटलिपुत्र को वह समानांतर चतुर्भुज नगर कहता है। इस नगर में चारों ओर लकड़ी की प्राचीर है जिसके भीतर तीर छोड़ने के स्थान बने हैं। वह कहता है कि इस राजप्रासाद की सुंदरता के सामने ईरानी राजप्रासाद सूस्का और इकबतना फीके लगते हैं। उद्यान में देशी तथा विदेशी दोनों प्रकार के वृक्ष लगाए गए हैं। राजा का जीवन बड़ा ही ऐश्वर्यमय है।

मेगस्थनीज ने चंद्रगुप्त के राजप्रासाद का बड़ा ही सजीव वर्णन किया है। सम्राट् का भवन पाटलिपुत्र के मध्य में स्थित था। भवन चारों ओर संुदर एवं रमणीक उपवनों तथा उद्यानों से घिरा था।

प्रासाद के इन उद्यानों में लगाने के लिए दूर-दूर से वृक्ष मँगाए जाते थे। भवन में मोर पाले जाते थे। भवन के सरोवर में बड़ी-बड़ी मछलियाँ पाली जाती थीं। सम्राट् प्राय: अपने भवन में ही रहता था और युद्ध, न्याय तथा आखेट के समय ही बाहर निकलता था। दरबार में अच्छी सजावट होती थी और सोने-चाँदी के बर्तनों से आँखों में चकाचौंध पैदा हो जाती थी। राजा राजप्रसाद से सोने की पालकी या हाथी पर बाहर निकलता था। सम्राट् की वर्षगाँठ बड़े समारोह के साथ मनाई जाती थी। राज्य में शांति और अच्छी व्यवस्था रहती थीं। अपराध कम होते थे। प्राय: लोगों के घरों में ताले नहीं बंद होते थे।

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